ट्रंप के 25% टैरिफ दांव से भारत में किन सेक्टर्स पर बढ़ेगा बोझ? GDP पर क्या असर
एक्सपोर्ट सेक्टर की चिंता बढ़ी
बहरहाल, ट्रंप के इस ऐलान से भारत में एक्सपोर्ट सेक्टर की चिंता बढ़ गई है क्योंकि उसे अब पहले से ज्यादा टैक्स देने होंगे। दरअसल, भारत अमेरिका को करीब 87 अरब डॉलर का निर्यात करता है। भारत अमेरिका का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार भी है। अब ट्रंप की नई टैरिफ व्यवस्था से भारत से शीर्ष निर्यातक सेक्टर प्रभावित हो सकते हैं। इनमें ऑटोमोबाइल, ऑटो कंपोनेंट, स्टील, एल्युमीनियम, स्मार्टफोन, सोलर मॉड्यूल, समुद्री उत्पाद, रत्न-भूषण, और चुनिंदा प्रसंस्कृत खाद्य एवं कृषि उत्पाद शामिल हैं। इन सभी पर 25% का शुल्क लगाया गया है।
इन सेक्टर को टैरिफ लिस्ट से रखा बाहर
बता दें कि अमेरिका निर्यात करने वाले प्रमुख सेक्टर्स में फार्मास्यूटिकल्स, इलेक्ट्रॉनिक्स, रत्न एवं आभूषण तथा वस्त्र एवं परिधान शामिल हैं। फाउंडेशन फॉर इकोनॉमिक डेवलपमेंट के संस्थापक-निदेशक राहुल अहलूवालिया ने इंडिया टुडे से कहा कि इनमें से फार्मा और इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर को पहले की टैरिफ लिस्ट में बाहर रखा गया था लेकिन इस बार उसे भी शामिल किया गया है। यानी अब पहले से ज्यादा सेक्टर्स पर असर पड़ने वाला है। हालाँकि, सेमीकंडक्टर और महत्वपूर्ण खनिजों को 25 फीसदी टैरिफ की सूची से बाहर रखा गया है।
उनके मुताबिक अगर आने वाले समय में अगर इसमें संशोधन होता है और फिर से उन दो सेक्टर्स को लिस्ट से बाहर किया जाता है तब रत्न एवं आभूषण और वस्त्र एवं परिधान सेक्टर पर ही सबसे ज्यादा टैरिफ की मार पड़ेगी।
एक नजर इन सभी सेक्टर्स पर पड़ने वाले असर पर...
ऑटो और कलपुर्जे: ट्रंप के नए टैरिफ की वजह से टाटा मोटर्स और भारत फोर्ज जैसी कंपनियों को अमेरिका में, खासकर उच्च-मूल्य वाले वाहनों और सटीक पुर्जों की, माँग में प्रत्यक्ष गिरावट आने का अनुमान है। अमेरिकी ऑर्डरों में गिरावट के कारण भारत में नौकरियों पर खतरा मंडराने के आसार हैं।
इलेक्ट्रॉनिक्स और सौर ऊर्जा: स्मार्टफोन और सौर पैनल असेंबल करने वाले निर्माताओं को मूल्य निर्धारण और मात्रा पर भारी दबाव का सामना करना पड़ सकता है, खासकर तब जब 25 फीसदी टैरिफ के झटके से पहले ही इस सेक्टर में मार्जिन बहुत कम था।
आभूषण और समुद्री निर्यात: 9 अरब डॉलर से अधिक मूल्य के वार्षिक शिपमेंट का यह सेक्टर अब 25% टैरिफ के दायरे में आ गया है। विश्लेषकों का कहना है कि इन क्षेत्रों के निर्यातकों को या तो लागत वहन करनी होगी, या उसे आगे बढ़ाना होगा, या तत्काल नए बाजार तलाशने होंगे।
वस्त्र और परिधान: इस सेक्टर पर प्रभाव मिला-जुला रहने वाला है। यदि चीनी या वियतनामी प्रतिस्पर्धियों पर अमेरिकी टैरिफ उच्च बने रहते हैं, तो भारतीय कंपनियों को कम लागत वाली श्रेणियों में लाभ हो सकता है, लेकिन उच्च-मार्जिन वाले फैशन और विशेष कपड़ों में भारत की हिस्सेदारी घटने की संभावना है।
जीडीपी में 0.5% तक की कमी का अनुमान
इसके अलावा अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि अगर ये टैरिफ वित्त वर्ष 2026 तक जारी रहे, तो भारत की जीडीपी में 0.2% से 0.5% तक की कमी आ सकती है। महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु और कर्नाटक के MSME और निर्यात केंद्र विशेष रूप से ट्रंप टैरिफ की मार से प्रभावित हो सकते हैं। लेकिन वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में सक्रिय रूप से बदलाव के साथ, मौजूदा व्यवधान में सुधार होने और नए बाजार की तलाश होने की भी संभावना है।
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